यज्ञ / हवन के लाभ

हम प्रतिदिन अपने परिवार में यज्ञ करें | यज्ञ में बड़ी शक्ति होती है | यह सब प्रकार के रोग ,शोक को हर लेता है | किसी प्रकार की व्याधि एेसे  परिवार में नहीं आती ,जहाँ प्रतिदिन यज्ञ होता है | जब यज्ञ के पश्चात बड़ों का अभिवादन किया जाता है तो बड़ों की आत्मा तृप्त हो जाती है | तृप्त आत्मा से आशीर्वादों की बौछाड़ निकलती है , जिस से परिवार में खुशियों की वृद्धि होती है तथा परिवार में सुख ,शांति तथा धन एशवर्य बढ़ता है तथा पारिवार की ख्याति दूर दूर तक चली जाती है | दुसरे लोग इस परिवार के अनुगामी बनते है | इस प्रकार परिवार के यश व कीर्ति में वृद्धि होती है | इस तथ्य को अथर्ववेद में बड़े सुन्दर ढंग से समझाया गया है : –

यदा गार्ह्पत्यमसपर्यैत, पुर्वमग्निं वधुरियम |
अधा सरस्वत्यै नारि. पित्रिभ्यश्च नमस्कुरु || अथर्ववेद १४.२..२० ||

यह मन्त्र घर में आई नव वधु को उपदेश देता है :_

प्रतिदिन यज्ञ करना : –

प्रतिदिन यज्ञ करने से व्यक्तिगत शुद्धि तो होती ही है , इसके साथ ही साथ परिवार की शुद्धि भी होती है | यज्ञ कर्ता के मन से सब प्रकार के संताप दूर हो जाते हैं | परिवार में किसी के प्रति कटुता है तो वह दूर हो जाती है | परिवार में यदि कोई रोग है तो यज्ञ करने से उस रोग के कीटाणुओं का नाश हो जाता है तथा रोग उस परिवार में रह नहीं पाता है | परिजनों में सेवाभाव का उदय होता है, जो सुख शान्ति को बढ़ाने का कारण बनता है , जहाँ सुख शान्ति होती है,वहां धन एशवर्य की वर्षा होती है तथा जहाँ धन एशवर्य है वहां यश व कीर्ति भी होती है | इसलिए प्रत्येक परिवार में प्रतिदिन यज्ञ होना अनिवार्य है |
जहाँ प्रतिदिन यज्ञ होता है , वहां की वायु शुद्ध हो जाती है तथा सात्विक भाव का उस परिवार में उदय होता है | यह तो सब जानते हैं कि यज्ञ से वायु मंडल शुद्ध होता है | शुद्ध वायु में सांस लेने से आकसीजन विपुल मात्रा में अन्दर जाती है, जो जीवन दायिनी होती है | शुद्ध वायु में किसी रोग के रोगाणु रह ही नहीं सकते , इस कारण एसे परिवार में किसी प्रकार का रोग प्रवेश ही नहीं कर पाता | पूरा परिवार रोग , रहित स्वस्थ हो जाता है | स्वस्थ शरीर में कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है | जब कार्य करने कि क्षमता बढ़ जाती है तो अधिक मेहनत करने का परिणाम अधिक अर्जन से होता है | अत: एसे परिवार के पास धन की भी वृद्धि होती है , जहाँ धन अधिक होगा, वहां सुखों के साधन भी अधिक होंगे | जब परिवार में सुख अधिक होंगे तो दान की , गरीबों की सहयता की भी प्रवृति बनेगी | जिस परिवार में दान की परम्परा होगी , उस का आदर सत्कार सब लोग करेंगे , उस परिवार को सम्मान मिलने लगेगा | सम्मानित परिवार की यश व कीर्ति स्वयमेव ही दूर दूर तक फ़ैल जाती है | अत: परिवार में प्रतिदिन यज्ञ आवश्यक है |जिस परिवार में प्रतिदिन यज्ञ होता है वहां सात्विक भाव का भी उदय होता है | सात्विक भाव के कारण किसी में भी झूठ बोलने , किसी के प्रति वैर की भावना रखने , इर्ष्या, द्वेष, वैर विरोध, शराब ,जुआ, मांस आदि के प्रयोग की भावना स्वयमेव ही नष्ट हो जाती है | यह सब व्यसन जहाँ परिवार के सदस्यों के शरीर में विकृतियाँ पैदा करने वाले होते है अपितु सब प्रकार के कलह क्लेश बढ़ाने वाले भी होते हैं | जब पारिवार में प्रतिदिन यज्ञ होता है तो परिवार से इस प्रकार के दोष स्वयमेव ही दूर हो कर सात्विक भावना का विस्तार होता है तथा परिवार उन्नति की ओर तेजी से बढ़ने लगता है | उन्नत परिवार की ख्याति के कारण लोग इस परिवार के अनुगामी बनने का यत्न करते है | इससे भी परिवार के यश व कीर्ति में वृद्धि होती है | इसलिए भी प्रतिदिन यज्ञ अवश्य करना वषयक है | यज्ञ करने से ह्रदय शुद्ध हो जाता है , शुद्ध ह्रदय होने से मन को भी शान्ति मिलती है | जब मन शांत है तो परिवार में भी सौम्यता की भावना का उदय होता है | एसे परिवार में कभी भी किसी प्रकार का द्वेष नहीं होता, किसी प्रकार की कलह नहीं होती | जो समय अनेक परिवारों में लड़ाई झगड़े में निकलता है , एसे परिवार उस समय को बचा कर निर्माणात्मक कार्यों में लगाते हैं , जिस से इस परिवार की आय में वृद्धि होती है तथा जो धन रोग पर अपव्यय होना होता है, वह भी बच जाता है ,जिससे इस परिवार के धन में अपार वृद्धि होने से सुखों की वृद्धि तथा दान की प्रवृति बढ़ने से परिवार दूर दूर तक चार्चा का विषय बन जाता है तथा अनेक परिवारों को मार्गदर्शन करता है | इसलिए भी प्रतिदिन यज्ञ करना आवश्यक हो जाता है | अत: प्रतिदिन यज्ञ करने की परंपरा हमारे परिवारों में ठीक उस प्रकार आनी चाहिए जिस प्रकार प्रतिदिन दोनों समय भोजन करने की परम्परा है , आवश्यकता है | जिस दिन यज्ञ न हो , उस दिन एसा अनुभव हो कि जैसे हमने कुछ खो दिया है | जब इस प्रकार के विचार होंगे तो हम निश्चय ही प्रतिदीन दो काल यज्ञ किये बिना रह ही नहीं सकेंगे |
| इसलिए इस सार्वोतम वशीकरण मन्त्र को पाने के लिए भी परिवार में प्रतिदिन यज्ञ का होना आवश्यक है |

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