यज्ञ की विज्ञानिकता और लाभ

ओ३म्

कुछ लोगो का कहना हैं की यज्ञ से धुंवा होता हैं और उस धुंवे से प्रदुषण होता हैं। यज्ञे में घी और अन्ये सामग्री डालते हैं और घी यज्ञे में डालके उसे व्यर्थ काना उचित नही हैं घी यज्ञे में डालने से अछा हैं हम घी गरीबो में बाटे गरीब का पेठ भरेगा। ऐसी अनेक शंका लोगो के मन में हैं और विधर्मी द्वारा भी फेलाई जा रही हैं इसी का उत्तर दिया जा रहा है सभी शंका समाधान के साथ :-

यज्ञे से धुंवा होता हैं, जिससे प्रदुषण होता हैं।
यज्ञ से प्रदूषण बिलकुल नही होता। प्रदूषण दूर होता है।यज्ञ को अग्निहोत्र भी कहते हैं।अग्निहोत्र का अर्थ है जल, पृथ्वी, वायु आदि की शुद्धि के लिए डाली गयी आहुतियां।यज्ञ को हवि भी कहते हैं जिसका अर्थ है विष को हरने वाला। तो जब हम हवन सामग्री गाय का देशी घी आदि जो हम अग्नि पर डालते है हवन के लिए वे वास्तव में औषधियां हैं , जलने से नष्ट नही होतीं बल्कि दूसरे रूप में परिवर्तित होती हैं और सूक्ष्म रूप में हमे प्राप्त होती हैं। विज्ञानं भी मानता हैं आप कन्वर्शन लॉ पढ़िए(By law of conservation of mass we know that mass cannot be created nor destroyed in a chemical reaction)विज्ञानं के सिद्धान्त के अनुसार कोई भी पदार्थ नष्ट नही होता ,बल्कि उसका रूप बदला जाता हैं। यज्ञे में भी आहुतिया देने के बाद यही होता हैं।

ठीक हैं मान लिए लेकिन यज्ञे करने के लिए अग्नि की आवशकता होती हैं,और अग्नि तभी जलती हैं जब उससे ओक्सिजन मिलता हैं तो यज्ञे करने से ऑक्सीजन खर्च होता हैं,एक तरह से येतो पर्यावरण को नुक्सान पहुचना हुआ।
समाधान
यज्ञ करने से ओक्सीजन खर्च तो होता हैं लेकिन जितना ऑक्सीजन खर्च होता हैं उससे कही अधिक ऑक्सीजन बनता भी हैं।क्यों की इसमें CO2 के साथ -साथ वाष्प(H2O) भी बनती है। देखिये..
CO2 + H2O (g) +112000 cal = HCHO (farmaldehyde) +O2(ऑक्सीजन)
इस प्रकार यज्ञ करने से ऑक्सीजन खर्च नही बल्कि प्रोड्यूस होती है बनती है।ऑक्सीजन के साथ साथ अन्ये रासायनिक क्रियाओं से बने gaseous प्रोडक्ट्स से पर्यावरण शुद्ध होता है।एवं हमें स्वास्थ्य लाभ भी होता है।

यज्ञे से और कोण कोण सी गैस निकल ती हैं कही उन गैस से तो परियवरन को तो नुकसान नही होता??
बिलकुल नही कोई भी हानिकारक गैस नही निकलती जिससे पर्यावरण को नुकसान हो अपितु फायदेमंद गैस निकलती हैं यज्ञ में होने वाली रासायनिक क्रियाएँ निम्न हैं...ज्वलन ( combustion), ऊर्ध्वपातन ( sublimation), धूनी (Fumigation)Fumigation is a method of pest control that completely fills an area with smoke, vapor, or gas to especially for the purpose of disinfecting or of destroying pests.,औटना( Volatilization)Volatilization is the process whereby a dissolved sample is vaporised।ये सभी रासायनिक क्रियाएँ हमारे लिए लाभकारी होती हैं।इनमे ज्वलन (combustion) अभिक्रिया के दौरान गाय का घी ( जिसमे लगभग 8% संतृप्त saturated fatty acids तथा triglycerides, diglycerides, monoglyceride)ज्वलन को तेज करता है जिससे complete cumbustion हो सके।fatty acid के combustion के दौरान CO2 और H2O निकलती है। complete combustion से CO2 भी बहुत कम हो जाता है।Glycerol के combustion में pyruvic acid और Glyoxal (C2H2O2)बनता है। pyruvic acid हमारे metabolism को बढ़ाता है।और glyoxal बैक्टेरिया को ख़त्म करता है।घी और चावल की आहुती डालने से
महत्वपूर्ण गैसे जैसे – एथिलीन
ऑक्साइड,प्रोपिलीन
ऑक्साइड,फॉर्मल्डीहाइड आदि उत्पन्न
होती हैं । इथिलीन ऑक्साइड गैस आजकल
सबसे अधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक
गैस है,जो शल्य-चिकित्सा (ऑपरेशन थियेटर)
से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में
उपयोगी हैं । वैज्ञानिक प्रोपिलीन
ऑक्साइड गैस को कृत्रिम वर्षो का आधार
मानते है ।
इनके आलावा combustion के दौरान जो हाइड्रोकार्बन बनते हैं वे पुनः स्लो combustion रिएक्शन होता है और methyle, ethyle alcohol ,फार्मिक एसिड और फार्मेल्डिहाइड आदि बनता है।जोकि वायु को सुगन्धित करता है और कीटाणुनाशक ही है। यही तक कि H1N1 वायरस को भी समाप्त करने की क्षमता भी यज्ञ में है।

और क्या क्या लाभ होते हैं यज्ञ करने से वो भी बताईये।
यज्ञ करन के बोहोत सरे लाभ है उन में से खुछ बता रहा हु।दुनिया में जब एलोपैथ नही था तो प्राचीन काल में आयुर्वेद था।आयुर्वेद में इन्ही वनस्पतियों से ही चिकित्सा की जाती थी।हवन सामग्री में जो वनस्पतियां और औषधियां हैं उनमे कीटाणुनाशक, सुगंधि वर्धक ,स्वास्थ्यवर्धक, पौष्टिक, ऑक्सीजन वर्धक गुण होते हैं।जब ये औषधियां हवन कुण्ड में जलायी जाती हैं तो ये परमाणु रूप मे सांस के माध्यम से एक नही बल्कि अनेको मनुष्ये जिव जंतुओं तक पहुचती हैं।यज्ञ से उत्पन्न धुएँ को खाँसी, जुकाम, जलन, सूजन आदि बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होता है।

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