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ओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुरितगनि परासुव। यद्भद्रं तन्नअ्आसुव

ओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुरितगनि परासुव। यद्भद्रं तन्नअ्आसुव।। भक्त ईश्वर से प्रार्थना करता है कि विश्वानि देव हे परमेश्वर आप तो देव हो सबको देते हो ,इसलिए मुझे भी दो,त...

यज्ञ  चिकित्सा

आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों के प्रयोग से जो अग्नि में औषधी डालकर धूनी से ठीक होते है वह भी यज्ञ  चिकित्सा का रूप है। नीम के पत्ते, वच, कूठ, हरण, सफ़ेद सरसों, गूगल के चूर्ण को घी म...

सत्य का निर्णय ।

मनुष्य का स्वभाव है कि वह आपनी आवश्यकता के अनुसार कार्य करता है. और जब वह किसी कार्य को बार -२ करने लगता है तो इसे उसकी आदत कहते है.जैसे किसी ने किसी की सहायता की ,तो यह एक कर्म है ...

यज्ञ / हवन के लाभ

हम प्रतिदिन अपने परिवार में यज्ञ करें | यज्ञ में बड़ी शक्ति होती है | यह सब प्रकार के रोग ,शोक को हर लेता है | किसी प्रकार की व्याधि एेसे  परिवार में नहीं आती ,जहाँ प्रतिदिन यज्ञ ...

यज्ञ की विज्ञानिकता और लाभ

ओ३म् कुछ लोगो का कहना हैं की यज्ञ से धुंवा होता हैं और उस धुंवे से प्रदुषण होता हैं। यज्ञे में घी और अन्ये सामग्री डालते हैं और घी यज्ञे में डालके उसे व्यर्थ काना उचित नही है...

यज्ञ क्या है।

🌷यज्ञ का शाब्दिक अर्थ है  - देव पूजा, संगतिकरण और दान। देव पूजा अर्थात् अग्निहोत्र के माध्यम से प्रज्वलित अग्नि में घी और सामग्री से आहुति प्रदान करना। इस वैज्ञानिक प्रक्...

होम से उपकार :।

सब लोक जानते है दुर्गंधयुक्त वायु और जल से रोग  , रोग से प्राणियों को दुःख और सुगंधित वायु तथा जल से आरोग्य और रोग के नष्ट होने से सुख प्राप्त होता है ।   होम से उपकार कैसे होता है । जो होम करने के द्रव्य अग्नि में डाले जाते हैं ।उनसे धुआ और भाफ उत्पन्न होते हैं क्योंकि अग्नि का यही स्वभाव है कि पदार्थों में प्रवेश करके उनको भिन्न-भिन्न कर देता है । फिर वह हल्के होकर वायु के साथ ऊपर आकाश में चढ़ जाते हैं उनमें जितना जल का अंश है वह भाफ़ कहाता है और जो शुष्क है वह पृथ्वी का भाग है इन दोनों के योग का नाम धूम है जब वह परमाणु मेघ मंडल में वायु के आधार से रहते हैं फिर वे परस्पर मिलकर बादल होके उनसे वृष्टि ,वृष्टि से औषधि , औषधियों से अन्न ,अन्न से धातु ,धातुओं से शरीर और शरीर से कर्म बनता है। उसमें चार प्रकार के द्रव्यों का होम करना होता है एक सुगंध गुण युक्त जो कस्तूरी  केसर आदि है , दूसरा मिष्ट गुण युक्त जो कि गुड़ और शहद अधिक कहते हैं तीसरा पुष्टिकारक गुणयुक्त  घृत, दूध और अन्न आदि है ,और चौथा रोग नाशक गुणयुक्त जो कि सोम लता औषधि आदि है, इन चारो का ...