सब लोक जानते है दुर्गंधयुक्त वायु और जल से रोग , रोग से प्राणियों को दुःख और सुगंधित वायु तथा जल से आरोग्य और रोग के नष्ट होने से सुख प्राप्त होता है । होम से उपकार कैसे होता है । जो होम करने के द्रव्य अग्नि में डाले जाते हैं ।उनसे धुआ और भाफ उत्पन्न होते हैं क्योंकि अग्नि का यही स्वभाव है कि पदार्थों में प्रवेश करके उनको भिन्न-भिन्न कर देता है । फिर वह हल्के होकर वायु के साथ ऊपर आकाश में चढ़ जाते हैं उनमें जितना जल का अंश है वह भाफ़ कहाता है और जो शुष्क है वह पृथ्वी का भाग है इन दोनों के योग का नाम धूम है जब वह परमाणु मेघ मंडल में वायु के आधार से रहते हैं फिर वे परस्पर मिलकर बादल होके उनसे वृष्टि ,वृष्टि से औषधि , औषधियों से अन्न ,अन्न से धातु ,धातुओं से शरीर और शरीर से कर्म बनता है। उसमें चार प्रकार के द्रव्यों का होम करना होता है एक सुगंध गुण युक्त जो कस्तूरी केसर आदि है , दूसरा मिष्ट गुण युक्त जो कि गुड़ और शहद अधिक कहते हैं तीसरा पुष्टिकारक गुणयुक्त घृत, दूध और अन्न आदि है ,और चौथा रोग नाशक गुणयुक्त जो कि सोम लता औषधि आदि है, इन चारो का ...